Thursday, November 6, 2025
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सिस्टम की लापरवाही ने कुचल दी जिंदगी

काशीपुर। वर्षों बाद बनकर तैयार हुआ रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) हादसों का सबब बन चुका है। लगातार हो रहे हादसों को रोकने के लिए और स्थानीय लोगों की ओर से सर्विस रोड से भारी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने की मांग जिम्मेदार अधिकारियों के कानों तक नहीं पहुंच पाई और शनिवार सुबह हुए हादसे ने एक परिवार के मुखिया की जिंदगी खत्म कर दी। महाराणा प्रताप चौक पर वर्ष 2017 में आरओबी का निर्माण शुरू हुआ था। तब से यह आरओबी सवालों के घेरे में रहा। सात में बनकर तैयार हुए आरओबी पर जब यातायात शुरू हुआ तो आए दिन हादसे होने लगे। इसी बीच छह महीने पहले आरओबी का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। तब प्रशासन ने भारी वाहनों की आवाजाही आरओबी से बंद करके हाइट बैरियर लगा दिए। इसके बाद भारी वाहन सर्विस रोड से होकर आने-जाने लगे जिसका आसपास के लोगों ने कई बार विरोध जताया, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। दुकानदारों का कहना है कि जिसका उन्हें डर था वह शनिवार सुबह तड़के हो गया। एक परिवार के मुखिया अर्जुन को रेता भरे एक डंपर ने सोते समय कुचल दिया और उसकी पत्नी व चार वर्षीय बेटे को कुचल दिया। संवाद

चार महीने पहले ही चेताया था
काशीपुर। दुकानदारों का कहना था कि रात में नौ बजे के बाद से सर्विस रोड से डंपर, बसों का संचालन होता है जिसके चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। पुलिस प्रशासन को रोक लगानी चाहिए और भारी वाहनों को बाईपास मार्गों से निकालना चाहिए, बावजूद इसके जिम्मेदारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

समाजसेवी आकाश गर्ग ने अर्जुन का कराया अंतिम संस्कार
काशीपुर। खानाबदोश अर्जुन के परिवार के सदस्यों के सामने उसके अंतिम संस्कार के खर्च की चिंता थी। मृतक अर्जुन के भाई अरुण ने बताया उनके पास इतने रुपये नहीं है कि वह अंतिम संस्कार कर सके। वहीं अर्जुन की पत्नी व एक बेटा घायल है उनका इलाज कैसे कराएंगे। इसकी जानकारी मोहल्ला घास मंडी निवासी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह जिला संपर्क प्रमुख व समाजसेवी आकाश गर्ग को जब मिली। तब उन्होंने अर्जुन के अंतिम संस्कार खर्च का जिम्मा स्वयं वहन करने का परिजनों को भरोसा दिया। इसके बाद परिजनों ने स्थानीय श्मशान घाट में अंतिम संस्कार क्रिया संपन्न की।

छह घंटे तक दर्द से कराहती रही राजवती
काशीपुर। हादसे में अर्जुन की पत्नी राजवती व उसका चार वर्षीय बेटा सूर्या घायल हो गए थे जिन्हें सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया। सूर्या का प्राथमिक इलाज कर उसे परिजनों के साथ भेज दिया। परिजनों ने बताया सुबह करीब 6:30 बजे अस्पताल लेकर आए थे। तब से उसे इमरजेंसी में रखा गया। बताया कि करीब 12:30 बजे तक भर्ती नहीं किया गया। अस्पताल कर्मी दर्द की दवा देकर चले गए। परिजनों ने बताया उनके पास इतने रुपये नहीं कि इलाज करा सके। वहीं अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई कि घायल तड़पती रही लेकिन छह घंटे तक भर्ती नहीं किया गया।

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