Sunday, September 21, 2025
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खुद पदक न लाने की टीस ने थमाई गनीमत को बंदूक पिता के अरमानों पर बेटी का स्वर्णिम निशाना

10 वर्ष पहले पिता के देखे गए सपने को आज पंजाब की बेटी गनीमत सेखों पूरी कर रही हैं। 21 वर्ष की अवस्था में सेखों विश्व कप में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला स्कीट बनीं, तो तीन वर्ष बाद उन्होंने 38वें राष्ट्रीय खेल में गोल्डन गर्ल बनकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।गनीमत सेखों का जन्म नवंबर 2000 में चंडीगढ़ में हुआ था। शुरू से ही सेखों का खेल के प्रति रुझान रहा। पिता निशानेबाजी करते थे पर बड़ा फलक नहीं मिल पाया। उन्होंने अपना सपना बेटी से पूरा कराने के लिए ठान लिया। 15 वर्ष की अवस्था में उन्होंने गनीमत को शूटिंग की ट्रेनिंग देनी शुरू की। उन्होंने 2016 में आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया, जिसमें वह 33वें स्थान पर रहीं। 2018 में वह सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक जीत पहली भारतीय महिला स्कीट निशानेबाज बनीं।उन्होंने 2019 में एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।

नई दिल्ली में 2021 आईएसएसएफ शूटिंग विश्व कप महिला स्कीट स्पर्धा में कांस्य पदक जीता, जो किसी महिला स्पर्धा में भारत के लिए पहला है।उन्होंने उसी स्थान पर स्कीट मिश्रित टीम में स्वर्ण और स्कीट महिला टीम में रजत पदक भी जीता।2023 अल्माटी स्कीट में रजत, एशियाई चैंपियनशिप 2024 कुवैत सिटी स्कीट टीम में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी निशानेबाजी का लोहा मनवाया।38वें राष्ट्रीय खेल की महिला वर्ग स्कीट स्पर्धा में सेखों ने क्वालीफाइंग राउंड से फाइनल तक किसी को भी आगे निकलने नहीं दिया। आखिर में रिकाॅर्ड बनाते हुए सोने पर निशाना साध लिया।मेरे लिए देवभूमि पर आयोजित राष्ट्रीय राष्ट्रीय खेल कई मायनों में यादगार रहेगा। यहां राष्ट्रीय रिकाॅर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीतना सपना साकार होने जैसा है।अगला लक्ष्य ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है।-गनीमत सेखों, गोडल मेडलिस्ट।
पंजाब की गनीमत सेखों ने राष्ट्रीय खेल का रिकाॅर्ड कायम करते हुए गोल्ड मेडल जीता है। उसने 125 में से 124 टारगेट भेदे हैं। –अशोक मित्तल, डीओसी।

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