लाइन जीवनगढ़ स्थित जौनसार बावर भवन में रविवार को आखर लोक बोली भाषा समिति की देखरेख में जौनसारी बाउरी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने पहाड़ की पीड़ा को अपनी स्थानीय बोली भाषा में बयां किया। इस मौके पर जौनसारी काव्य संग्रह ‘जौनसारी आखर’ पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। कवि सम्मेलन में कवियों ने पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित होकर कविताएं प्रस्तुत कीं। कविताओं में लोक संस्कृति को बचाए रखना, पहाड़ में विकास के साथ हो रहे खिलवाड़ और पर्यावरण संतुलन जैसे विविध विषयों पर प्रस्तुति दी गई। इसने श्रोताओं को गुदगुदाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर किया। सम्मेलन में खजान दत्त शर्मा, फकीरा सिंह चौहान, अर्जुन दत्त शर्मा, चतर सिंह चौहान गुर, नारायण सिंह चौहान, अरविंद शर्मा, विनीत जोशी, सुरेश मनमौजी, बलराम सिंह चौहान, नवनीत राठौर, महावीर चौहान, सीमा शर्मा, किशन शाह, रिंकू भारती, ललित चौहान राणा, राकेश शर्मा, प्रदुमन तोमर, शिवम डोभाल आदि कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सेवानिवृत्त आईआरएस रतन सिंह रावत ने समिति के प्रयासों की सराहना की। उन्हेंने कहा कि इस प्रकार के प्रयासों से बोली भाषा को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी। इस मौके पर जौनसार बावर की साहित्यकार सुनीता चौहान, पूर्व आईएफएस प्रताप सिंह पवार, वैज्ञानिक डॉ. लीला चौहान, डॉ. राजकुमारी चौहान, डॉ. पूजा राठौर, डॉ. पूजा गौड़, श्रीचंद शर्मा, राजेंद्र शर्मा, खुशीराम शर्मा, खुशीराम जोशी, वीरेंद्र राणा, निर्मल तोमर उपस्थित रहे।
जौनसारी बाउरी कवि सम्मेलन में छलका पहाड़ का दर्द
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