Sunday, September 21, 2025
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सुस्त सिस्टम के आगे हिचकोले खा रही जनता इन गड्ढों वालीं सड़कों पर कैसे दौड़ेगी शहर के विकास की गाड़ी

हल्द्वानी शहर में सिस्टम की नाकामी की जरा बानगी देखिये। नगर निगम बोर्ड के गठन के सात माह बाद भी हल्द्वानी की सूरत नहीं बदल रही है। शहरवासी खस्ताहाल सड़क पर आवाजाही करने के लिए मजबूर हैं। कभी सीवर तो कभी पेयजल लाइन डालने के नाम पर खोदी गई सड़कों को बदहाल छोड़ दिया गया है। सोमवार को शहर के भीतर करीब 22 किमी का सफर कर सड़कों की स्थिति देखी तो हर तरफ गड्ढे ही दिखे।

देवलचौड़ से आनंदा अकेडमी
1.4 किलोमीटर की दूरी वाली यह सड़क तकरीबन 16 फुट चौड़ी है। यहां सड़क पर गड्ढे नहीं, बल्कि गड्ढों में ही सड़क समाई है। कुछ जगह मोटरमार्ग की चौड़ाई आठ फुट रह गई है। इस मार्ग पर वाहनों का दबाव है और गड्ढों के कारण हर वक्त हादसे की आशंका बनी रहती है। यह पीलीकोठी से रामपुर रोड को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क है। इससे शहर की बड़ी आबादी जुड़ी है।

जज फार्म की जर्जर सड़क
भीमताल विधायक रामसिंह कैड़ा का मकान जज फार्म में है। इनके मकान के सामने की सड़क कई महीने से टूटी है। नेता ही नहीं लोग भी परेशान हैं। तकरीबन 350 मीटर की यह गली चलने लायक तो है लेकिन हिचकोले खाकर।

ईको सिटी से रोले की पुलिया
इको सिटी से बड़ी मुखानी राधाकृष्ण विहार होकर रोले की पुलिया तक की मामूली दूरी के बीच सात गड्ढे हैं। फुटपाथ तक गड्ढों में समा चुका है। तिराहे के पास भी मार्ग पर आठ गड्ढे हैं। आरटीओ रोड जाने वाली सड़क पर गड्ढो में बरसात का पानी भरा है।

स्कॉलर्स मोड़ से उजाला अस्पताल
गैस गोदाम रोड पर स्कॉलर्स एकेडमी के मोड़ से लेकर कालाढूंगी रोड स्थित उजाला सिग्नस अस्पताल तक की दूरी तकरीबन 2.5 किलोमीटर है। सड़क पर 50 से अधिक गड्ढे हैं। इधर संगम विहार फेस एक में भी गड्ढे ही गड्ढे हैं।

अमरावती कॉलोनी फेस तीन
अमरावती कॉलोनी फेस तीन की सड़कें सबसे ज्यादा खतरनाक है। यहां से मुखानी मार्ग तक की तकरीबन सवा किलोमीटर की गली से गुजरना आसान नहीं है। मोड़ पर मौजूद नाली का गड्ढा कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है। फेस एक और दो के मार्ग भी खराब हैं।

क्या कहते हैं लोग
सात से नौ माह हो गए। सड़क को सही नहीं किया गया। आए दिन कंपनियों के लोग गड्ढे खोदते रहते हैं। – प्रकाश चंद्र, देवलचौड़
मैं पहले स्कूटी से जाती थी। लेकिन अब पैदल ही जाना पड़ रहा है। महीनों से सड़क ऐसे ही देख रही हूं। – गीता उप्रेती, जज फार्म
लंबे समय से टूटी सड़कें देख रहा हूं। कभी बनवाने के लिए कोई आया नहीं। बरसात होती है तो गुजरना मुश्किल होता है। – राजवीर राठौर, रोले की पुलिया
बाइक या स्कूटी से जाना खतरनाक है। सर्वाइकल की परेशानी है तो सड़क पर दर्द बढ़ जाता है। – मीना जोशी, अमरावती कॉलोनी
सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। करीब 12 सड़कें बन चुकी हैं, तीन का निर्माण जारी है। मानसून के बाद चार से पांच किलोमीटर सड़कें बनाई जानी हैं। कुछ मोटरमार्ग सीवरेज कार्य की वजह से टूटे हैं। उसे कार्यदायी संस्था को बनाना है, उनसे वार्ता की जा रही है। – ऋचा सिंह, नगर आयुक्त

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