उप जिला अस्पताल में बना ट्रामा सेंटर घायलों के किसी काम नहीं आ रहा है। उन्हें अभी भी हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है। ट्रामा सेंटर में ओपीडी, पैथोलॉजी लैब, टीबी और अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। लेकिन, घायलों के उपचार के लिए अस्पताल में केवल एक छोटा इमरजेंसी कक्ष है। वहां एक बार में केवल दो ही घायलों और गंभीर मरीजों का उपचार किया जा सकता है। उप जिला अस्पताल पछवादून, जौनसार बावर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश के सीमांत क्षेत्रों स्वास्थ्य जीवन रेखा है। करीब 5.50 लाख की आबादी इस पर निर्भर है, लेकिन इमरजेंसी की स्थिति मरीजों को चिकित्सा सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण जौनसार बावर में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। विकासनगर में दुर्घटनाओं के मामले सामने आते हैं। अस्पताल में हर माह दुर्घटना में घायल आठ से 10 मरीज आते हैं। उन्हें तुंरत उपचार मुहैया करवाने के लिए अस्पताल में ट्रामा सेंटर बनाया गया था।
अस्पताल में सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ, कान-नाक-गला सर्जन, नेत्र सर्जन, बाल रोग विशेषज्ञ और एनेस्थेटिक तैनात हैं। सभी जरूरी विशेषज्ञ उपलब्ध होने के बाद भी ट्रामा सेंटर को संचालित नहीं किया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ओपीडी संचालन के लिए अस्पताल में जगह नहीं है। मजबूरी में ट्रामा सेंटर में ओपीडी संचालित की जा रही है। डाकपत्थर में एक अस्पताल भवन का निर्माण किया गया है। हालांकि, अभी भवन स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित नहीं हुआ है। अगर अस्पताल भवन में उप जिला अस्पताल की कुछ ओपीडी और चिकित्सा सेवाओं को स्थानांतरित कर दिया जाता है तो ट्रामा सेंटर को संचालित किया जा सकता है। इसके अलावा नए अस्पताल भवन में भी ट्रामा सेंटर को संचालित करने का विकल्प है। उप जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विजय सिंह ने बताया कि अस्पताल में जगह कम है। इसी कारण ट्रामा सेंटर में ओपीडी संचालित की जा रही है। डाकपत्थर में अस्पताल के भवन का निर्माण किया गया है। उसमें ट्रॉमा सेंटर शुरू किया जा सकता है। चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार संभव है।