उप जिला अस्पताल विकासनगर में अग्नि सुरक्षा व्यवस्था केवल मैन्युअल अग्निशमन यंत्रों के भरोसे है। यहां फायर स्प्रिंकलर सिस्टम और स्मोक डिटेक्टर नहीं लगाए गए हैं। अग्निशमन विभाग इसके लिए अस्पताल प्रशासन को दिशा-निर्देश भी जारी कर चुका है। उप जिला अस्पताल विकासनगर पछवादून का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां की दैनिक ओपीडी करीब 500 से 550 के बीच है। आईपीडी में 25 से 30 मरीज भर्ती रहते हैं। अस्पताल में रोजाना चार से पांच गर्भवतियों के प्रसव होते हैं। उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज के नीकू वार्ड में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लगने से 10 नवजात की मौत की घटना के बाद शनिवार को उप जिला अस्पताल में अग्नि सुरक्षा की पड़ताल की गई।
अस्पताल परिसर में 11 फायर एक्सटिंग्विशर सिलिंडर लगे मिले। इनमें से दो सिलिंडर ट्रॉमा सेंटर, तीन ऑपरेशन थियेटर, दो प्रसूता वार्ड, नवजात निगरानी कक्ष, दो सिलिंडर आईपीडी और दो सिलिंडर प्रशासनिक भवन में लगे हैं। सभी की रिफिलिंग की तिथि अक्तूबर 2025 थी। जानकारी लेने पर पता चला कि अग्नि सुरक्षा के मानक के अनुसार अस्पतालों में फायर स्प्रिंकलर सिस्टम और स्मोक डिटेक्टर लगाना अनिवार्य है। इन उपकरणों से आग लगने की जानकारी के साथ उस पर तत्काल काबू पाने में मदद मिलती है। अग्निशमन विभाग की ओर अस्पताल में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था की जांच की गई थी। अग्निशमन अधिकारी ने अस्पताल प्रशासन को फायर स्प्रिंकलर सिस्टम और स्मोक डिटेक्टर लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन अभी तक आदेश का पालन नहीं हुआ है। अस्पताल में दोनों तरह के उपकरण नहीं लगवाए गए।