स्मार्ट सिटी को मिले रुपयों में से 100 करोड़ से अधिक के काम बरबाद हो चुके हैं। 75 करोड़ रुपये से पांच वार्डों को स्मार्ट बनाया गया था। जिनकी हालत बद से बदतर हो चुकी है। इसके अलावा करीब 25 करोड़ से सोनिया तालाब का काम, पार्क और कुंडों के कई कार्य कराए। जो छिन्न-भिन्न हो रहे हैं। स्मार्ट वार्ड के दीवारों पर लगी पेंटिंग खराब हो चुकी है। वार्डों में सीवर, पेयजल, जल निकासी की समस्या व्याप्त है। स्ट्रीट लाइटें दुरुस्त नहीं हैं। इन वार्डों के गुलाबी पत्थर भी उखड़ गए हैं। शहर में स्मार्ट सिटी के पूरे हो चुके काम मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। चाहे स्मार्ट वार्ड हो या फिर झूले, उपकरणों से लैस पार्क। स्मार्ट सिटी ने शहर में कई सुंदरीकरण के कार्य कराए। बाद में इन्हें संबंधित विभागों को सौंपा गया। बीते आठ वर्षों में कराए गए कार्य बदसूरत दिखाई पड़ रहे हैं। दशाश्वमेध प्लाजा के बाहर बनी नाली के ऊपर लगी जाली टूटी है। यहां पर बैठने वाला स्टील का बेंच टूटा पड़ा है। राजेंद्र प्रसाद घाट जाने वाले मार्ग के कुछ पत्थर धंस चुके हैं। इसके चलते कई जगहों पर दरार और जलभराव हो रहा है।
बेस्ट स्मार्ट सिटी का मिल चुका है पुरस्कार
गोदौलिया चौराहे के समीप मैनहोल के ढक्कन के साथ पत्थर धंस चुके हैं। अगस्तकुंडा में लगे पत्थर धंसे हैं। गलियों मलबा रखा है। वाराही देवी मार्ग पर मीरघाट के समीप सीढि़यां टूटी हैं। मैदागिन के भारतेंदु उद्यान कंपनी गार्डेन में लगा फाउंटेन खराब है। ओपन जिम में एक्सरसाइज के लिए बने उपकरण टूटे हैं। बच्चों के लिए लगे झूले की सीट गायब है। बता दें कि वाराणसी स्मार्ट सिटी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों बेस्ट स्मार्ट सिटी का पुरस्कार मिल चुका है।
10 करोड़ से बना नाइट मार्केट तीन साल में ध्वस्त
स्मार्ट सिटी की ओर से दस करोड़ की लागत से लहरतारा चौकाघाट फ्लाईओवर के नीचे 2022 में नाइट मार्केट विकसित किया गया। जिसे 2025 में यानी तीन साल में ही तोड़ दिया गया। इसके लिए जिम्मेदारों पर जवाबदेही अब तक तय नहीं की गई है। इसका संचालन और रखरखाव मेसर्स श्रेया इंटरप्राइजेज को 16 वर्षों के लिए दिया गया था। भ्रष्टाचार के आरोप और अनियमितताओं के कारण फर्म का अनुबंध रद्द कर दिया गया। अब इस क्षेत्र को पैदल यात्री, पर्यटन और हरित विकास पर फोकस किया जाएगा।
8 वर्षों में 10.90 अरब से 67 कार्य कराए पूरे, छह कार्य बचे
आठ साल के भीतर स्मार्ट सिटी ने अब तक 10.90 अरब के 67 काम पूरे कराए। जबकि 188 करोड़ के 6 काम अभी बचे हुए हैं। 2018 से अब तक 1278 करोड़ रुपये स्मार्ट सिटी को मिल चुके हैं। इनमें 1000 करोड़ रुपये स्मार्ट सिटी मिशन के तहत मिले हैं और बाकी कंवर्जन के तहत अलग-अलग विभाग से मिले हैं। जिनका इस्तेमाल कर कार्य पूरे कराए गए हैं।
कुछ बड़ी ये योजनाएं हुईं पूरी
186 करोड़ से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर
148 करोड़ सांस्कृतिक संकुल में गिरिजा देवी भवन निर्माण
100 करोड़ से बेनियाबाग पार्किंग
95 करोड़ से नमो घाट का सुंदरीकरण 25 करोड़ से फूड प्लाजा
10 करोड़ से नाइट मार्केट
ये छह योजना अधूरी
7 करोड़ से यूपी कालेज में एस्ट्रोटर्फ
167 करोड़ से लंका सड़क का निर्माण
1 करोड़ से आशापुर में फूड स्ट्रीट का निर्माण
11 करोड़ से स्कूलों का कायाकल्प
75 लाख से आशापुर गेमिंग जोन
1.25 करोड़ से सोनिया तालाब का जीर्णोद्धार
क्या बोले अधिकारी
डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड में संबंधित ठेकेदार काम करते हैं। बाकी जो प्रोजेक्ट हैंडओवर हो चुके हैं। उनका रखरखाव संबंधित विभाग कर रहे हैं। नाइट मार्केट का संचालन में नियमों का उल्लंघन करने वाली संस्था पर कार्रवाई की गई है। – शाकंभरी नंदन, पीआरओ, स्मार्ट सिटी