Sunday, September 21, 2025
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ऐसे की सफल सर्जरी ऋषिकेश एम्स के डॉक्टरों ने संवारा चार पैर वाले बच्चे का जीवन

ऋषिकेश। यह किसी चमत्कार से कम नहीं, मां के गर्भ से जन्म लेते समय से ही जिस बच्चे के चार पैर थे और शरीर भी विकृत था, उसे एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने नई जिंदगी दी है। डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी के माध्यम से बच्चे के शरीर को सुडौल स्वरूप दे दिया है। असामान्य शरीर वाला यह बच्चा अब सामान्य बच्चों की तरह जीवन जी सकेगा।

बच्चे के दो पैर सामान्य थे जबकि दो अन्य पैर असामान्य। 9 माह के इस बच्चे के माता-पिता 6 मार्च 2024 को बच्चे को एम्स ऋषिकेश लाया गया। पीडियाट्रिक सर्जरी की ओपीडी में पहुंचे बच्चे के अविकसित और विकृत स्वरूप की वजह से न केवल इस बच्चे के माता-पिता परेशान थे, बच्चा भी शारीरिक तौर से बहुत कष्ट में था। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की हेड और एम्स की चिकित्सा अधीक्षक प्रो. सत्या श्री ने बताया कि बच्चे के दो पैर सामान्य थे, जबकि दो अन्य पैर असामान्य स्थिति में थे।

माता-पिता की चौथी संतान। इसके अलावा उसकी रीढ़ की हड्डी के ऊपरी पृष्ठ में एक बड़ी सूजन भी बनी थी। बच्चे का जन्म यूपी के मुजफ्फरनगर में हुआ है। माता-पिता की यह चौथी संतान है। बच्चे की विकृत अवस्था देख पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के सर्जन डाॅक्टरों की टीम ने बच्चे के शरीर को सुविकसित बनाने के लिए व्यापक स्तर पर मेडिकल तैयारी की।

डॉक्टरों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की सर्जन डा. इनोनो योशू ने इस बारे में बताया कि यह कार्य किसी चुनौती से कम नहीं था। इसके लिए बच्चे की विभिन्न प्रकार की भौतिक और आंतरिक जांचें करने के बाद लंबे समय तक चिकित्सीय कार्य योजना पर मंथन किया गया और अन्य विभागों के सहयोग से सर्जरी को अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने बताया कि सामान्य व्यक्ति के शरीर में दो किडनी होती हैं, लेकिन इस बच्चे के शरीर में किडनी भी एक ही है।

8 घंटे चली जटिल सर्जरी। ऐसे में लगभग 8 घंटे तक चली बेहद जटिल सर्जरी के दौरान सर्जिकल टीम को बच्चे के जीवन से संबन्धित तमाम मामलों में बहुत गंभीरता बरतनी पड़ी। सर्जरी के 3 सप्ताह तक बच्चे को चिकित्सीय टीम की निगरानी में रखने के बाद स्थिति पूरी तरह सामान्य पाए जाने पर उसे कुछ दिन पहले अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.वहीं संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने सर्जरी करने वाले डाॅक्टरों की टीम की सराहना करते हुए कहा कि विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किया गया यह कार्य किसी उपलब्धि से कम नहीं है।

डॉक्टरों की टीम ने दी नई जिंदगी दूसरा भ्रूण रह गया अविकसित। जन्म के समय इस बच्चे को देख परिवार वाले घबरा गए थे। पहले उन्होंने बच्चे को मुजफ्फरनगर के विभिन्न अस्पतालों में दिखाया। एम्स के चिकित्सकों का कहना है कि इस बच्चे को जुड़वां होना था, लेकिन मां के गर्भ में विकसित होते समय कुछ विकृति आ गई। शायद एक भ्रूण का विकास हुआ लेकिन दूसरा भ्रूण अविकसित रह गया। दूसरे बच्चे का गर्भ में केवल शरीर का नीचे का हिस्सा ही बन पाया. वह शरीर भी पहले बच्चे में जुड़ता चला गया. इसलिए बच्चा विकृत स्वरूप में पैदा हुआ।

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