फतेहपुर में पहली बार जिले में किसी सांप्रदायिक मामले को लेकर एसटीएफ की लखनऊ इकाई के सदस्यों ने डेरा डाला है। खबर है कि बड़ी गोपनीय सूचना पर टीम को भेजा गया है। टीम पूरे मामले के साथ दोनों समुदायों की गतिविधियों की जानकारी भी जुटा रही है। वहीं एसटीएफ तनावग्रस्त इलाकों में सादी वर्दी में घूम रही है। वह लोगों से बात कर पल-पल के माहौल की जानकारी ले रही है। एसटीएफ लखनऊ इकाई के सीओ बख्तरबंद वाहन के साथ पहुंचे हैं। इसमें मौजूद टीम के कमांडो हर तरह के हालात से निपटने को तैयार दिखे। सूत्रों से खबर है कि इंटेलीजेंस ब्यूरो की गोपनीय सूचना पर एसटीएफ को भेजा गया है। एसटीएफ के कई कर्मी आम व्यक्ति बनकर तनावग्रस्त इलाकों में घूम रहे हैं। समाज के बीच गलत संदेश पहुंचाकर जहर घोलने का प्रयास करने वालों पर एसटीएफ की पैनी नजर है। एसटीएफ के कर्मी सोशल मीडिया जैसे एक्स, फेसबुक, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम पर नजर बनाए रखें हैं। पूरी तरह हालात सामान्य होने तक एसटीएफ जिले में डेरा डाले रहेगी। सारे इनपुट एसटीएफ सीओ सीधे एडीजी कानून व्यवस्था को दे रहे हैं।
पल-पल की रिपोर्ट शासन के पास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पल-पल की रिपोर्ट ले रहे हैं। हर गतिविधियों की जानकारी शासन स्तर तक अधिकारी दे रहे हैं। शासन इस मामले में अब कोई चूक नहीं चाहता है। अधिकारियों को सीधे सीएम कार्यालय से निर्देश मिल रहे हैं और वे भी हर जानकारी वहां तक पहुंचा रहे हैं।
सोशल मीडिया में टिप्पणियों की भरमार
मकबरे तक पहुंचने के लिए पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया। तोड़फोड़ के बाद दोनों तरफ से कई वीडियो वायरल किए जा रहे हैं। कई ग्रुप रातोंरात तैयार हुए। उसमें कई तरह की टिप्पणी की जा रही हैं। कई लोग माहौल बिगाड़ने की टिप्पणी कर रहे हैं। वहीं, कई लोग वीडियो व ऑडियो भी वायरल कर रहे हैं। प्रशासन की इसपर सख्त नजर बनाए है, हालांकि ये वीडियो लगातार प्रसारित हो रहे हैं।
महिलाओं में आक्रोश
आबूनगर रेड्डया की दूसरे समुदाय की महिलाओं में मंगलवार सुबह खासा रोष दिखा। उन्होंने कहा किए गए तोड़फोड़ के खिलाफ रोष जाहिर किया। कई गलियों में सन्नाटा पसरा रहा।
मकबरा-ए-संगी की जमीन हो सकती विवाद का कारण
फतेहपुर में आबूनगर रेड्डया के मकबरा-ए-संगी के विवाद के पीछे कहीं न कहीं 10 बीघे 18 बिस्वा जमीन हो सकती है। 30 दिसंबर 2010 में सिविल जज की अदालत ने असोथर निवासी रामनरेश का जमीन से स्वामित्व खत्म कर मकबरा-ए-संगी को स्वामित्व प्रदान करने का आदेश दिया। वर्ष 2012 में कोर्ट के आदेश पर मकबरे के नाम जमीन अंकित की गई। साथ ही कोर्ट ने मकबरा-ए-संगी को राष्ट्रीय संपत्ति दर्ज करने का आदेश भी पारित किया था। प्रोफेसर डॉ. इस्माइल आजाद की फारसी में लिखी किताब तारीख-ए-फतेहपुर में मकबरा-ए-संगी आबूनगर रेड्डया का उल्लेख है। आबूनगर के उत्तर स्थित इस मकबरे के पत्थरों में फारसी में औरंगजेब के चकलेदार अब्दुल शमद खां और उसके बेटे अबू मोहम्मद खां के नाम अंकित है। मकबरे में दोनों की कब्र भी मौजूद हैं। इसका उल्लेख किताब में स्पष्ट है। इसके निर्माण का समय 1121 हिजरी (वर्ष 1710) अंकित है।
किताब के अनुसार मकबरा का पूरा नाम मकबरा-ए-संगी है और ये पूरा पत्थर से बना है। इसीलिए इसे पाषाण मकबरा भी कहा जाता है। इसमें लगे दरवाजे के चौखट भी पत्थर से बने हैं। औरंगजेब ने अपने शासनकाल के 48वें साल अब्दुल शमद खां को चकलेदार बनाया था। जिम्मेदारी सौंपने के करीब एक साल बाद 1707 में उसकी मौत हो गई। इसके तीन साल बाद मकबरे का निर्माण कराया गया। आबूनगर रेड्डया के तत्कालीन गाटा संख्या 17650/753/765 का मामला अभिलेखों में गुम रहा। इसके बाद अंग्रेज शासनकाल समाप्ति के दौरान अंग्रेजों ने शहर की आधी से अधिक जमीन मानसिंह परिवार के नाम पर कर दी। 30 दिसंबर 1970 को इस गाटा संख्या की जमीन का बैनामा असोथर निवासी रामनरेश सिंह ने शकुंतला मानसिंह पत्नी नरेश्वर मानसिंह से कराया। इसके बाद मुतवल्ली ने न्यायालय में परिवाद दर्ज किया। मामला मकबरा बनाम रामनरेश चला। 20 दिसंबर 2010 को सिविल जज ने 10 बीघा 18 बिस्वा जमीन मकबरा-ए-संगी आबूनगर के नाम आवंटित करने का फैसला किया। 2012 में यह जमीन मकबरे के नाम पर अंकित की गई। इसके साथ ही अदालत ने मकबरा-ए-संगी को राष्ट्रीय संपत्ति दर्ज करने का आदेश पारित किया था।
अभी भी वाद कोर्ट में विचाराधीन
मकबरा-ए-संगी की जमीन में 34 मकान बने हैं। मकान खाली कराने के लिए मकबरे के मुतवल्ली अब्दुल अजीज के नाम से वाद विचाराधीन है। मुकदमे के निर्णय के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ये है पूरा मामला
शहर के आबूनगर रेड्डया में मदरसा है। कई वर्षों से एक समुदाय के लोग स्थल के अनुयायी हैं। मंदिर-मठ संरक्षण संघर्ष समिति के सदस्य धनंजय द्विवेदी आदि ने सात अगस्त को डीएम रविंद्र सिंह को एक मांग पत्र सौंपकर स्थल को प्राचीन ठाकुर द्वारा मंदिर बताया था। नए सिरे से रंगाई पुताई और बिना अनुमति के मजारों के स्थापित किए जाने का दावा किया था। समिति की ओर से सोमवार को स्थल पर साफ-सफाई कर पूजा पाठ की बात कही गई थी। बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल व विहिप नेताओं के सोशल मीडिया व बैठकों के जरिए किए गए आह्वान पर भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़कर मकबरे में तोड़फोड़ की थी। कई कार्यकर्ताओं ने पूजा अर्चना और शंख बजाकर नारेबाजी की थी। लाठी-डंडों से मजारें तोड़ी थीं।