Thursday, November 6, 2025
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लिफाफा गैंग के तीन सदस्य धरे ऐसे करते थे वारदात लोगों का विश्वास लिफाफे में रखा जो लौटाया वह धोखा

सवारी बैठाकर उन्हें लूटने वाले लिफाफा गैंग के तीन सदस्य को पुलिस ने मंगलवार रात पकड़ा है। यह सभी यूपी के शाहजहांपुर के रहने वाले हैं। लूट का तरीके से पुलिस ने इन्हें लिफाफा गैंग नाम दिया है। ये लोग वाहन का सरकारी होना और चेकिंग का भय दिखाकर लोगों की सारी रकम लिफाफे में रखवा देते थे। आगे जाकर सवारी को बदला लिफाफा देकर भाग जाते थे। गैंग ने खटीमा, रुद्रपुर में भी वारदात को अंजाम दिया है।एसएसपी पीएन मीणा ने पुलिस कार्यालय सभागार में प्रेसवार्ता में बताया कि पिछले सप्ताह इस तरह के दो मामले आए थे। इसमें एक स्लेटी रंग के कार की संलिप्तता सामने आई। दोनों मामलों में पीड़ितों को सवारी के रूप में कार में बैठाकर लूटा गया। जांच चल ही रही थी कि पीलीभीत के सुनगड़ी निवासी छेदा लाल को भी गैंग ने लूट लिया। कोतवाली हल्द्वानी में इसका मुकदमा दर्ज हुआ। इस पर एसपी सिटी प्रकाश चंद्र, सीओ सिटी नितिन लोहनी के साथ ही एसओजी व कोतवाली पुलिस की टीम बनाई गई।

टीम ने सीसीटीवी के माध्यम से कार (यूपी32एलएन2205) की पहचान की। वाहन की लोकेशन मुक्त विश्वविद्यालय के पास जंगल में दिखी। टीम ने वहां से राम कृपाल निवासी मोहल्ला गदियाना मना सदर बाजार शाहजहांपुर (यूपी), संतराम निवासी ग्राम नाचोला थाना निगोही शाहजहांपुर और श्रीनाथ उर्फ चीराम निवासी गदियाना मना थाना सदर बाजार शाहजहांपुर है। गिरफ्तारी करने वाली टीम को एसएसपी ने 2500 रुपये के पुरस्कार की घोषणा की। एसएसपी ने सीसीटीवी कंट्रोल रूम की भी सराहना की।कार के अलावा आरोपियों के कब्जे से 6740 रुपये के साथ ही कपड़ों से भरा बैग बरामद किया गया है। राम कृपाल गिरोह का सरगना है जबकि श्रीनाथ की उम्र 66 साल है, जिसे वह सवारी बताते थे। – पीएन मीणा, एसएसपी

यह है लिफाफा गैंग के लूट का तरीका
पूछताछ में सामने आया कि ये लोग रोडवेज या अन्य चौराहों से सीधे साधे व्यक्तियों को अपनी गाड़ी में बैठाते थे। उन्हें चेकिंग का भय दिखाते थे और वाहन को सरकारी बताते थे। कभी भी वाहन की तलाशी हो सकती है ऐसे में अपने पास रखी नकदी और अन्य डाक्यूमेंट जमा करने को कहते थे। इसी गाड़ी में दो बदमाश अपने रुपये और एटीएम, आधार आदि कार्ड एक लिफाफा में रखकर ड्राइवर को दे देते थे। इससे अन्य सवारी भी ऐसा ही करती थी। इसके बाद सवारी को एकांत स्थान पर उतारकर खाली लिफाफा थमा देते थे, या जिसे खाली होने का शक हो जाता था उसे पीटकर चले जाते थे।

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