रामनगर। पिछले वर्ष दिसंबर में शुरू हुआ कॉर्बेट हेरिटेज जंगल सफारी पर्यटन जोन धीरे-धीरे पर्यटकों के बीच अपनी खास पहचान बना रहा है. छोटी हल्द्वानी स्थित यह जोन न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक नया आकर्षण बन गया है, बल्कि प्रसिद्ध शिकारी, पर्यावरणविद और लेखक एडवर्ड जेम्स ‘जिम’ कॉर्बेट की विरासत को भी करीब से जानने का एक अनूठा माध्यम बन चुका है। यह जोन रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत आता है और कालाढूंगी के छोटी हल्द्वानी गांव में स्थित है। यही वह स्थान है जहां जिम कॉर्बेट ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बिताया था. उनकी यादें आज भी उनके आवास, म्यूजियम और आसपास के क्षेत्रों में जीवंत हैं. जैव विविधता से भरपूर जंगल सफारी: इस हेरिटेज सफारी की खास बात यह है कि यहां पर लगातार टाइगर साइटिंग, लेपर्ड साइटिंग, हाथी और अनेक प्रकार की पक्षियों की झलक देखने को मिल रही है. यह अनुभव पर्यटकों को रोमांचित कर रहा है।यही वजह है कि यह जोन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। जिप्सी सफारी के साथ-साथ पैदल ट्रेकिंग का विकल्प भी इस जोन को अन्य पर्यटन स्थलों से अलग बनाता है। करीब 45 किलोमीटर लंबे इस सफारी मार्ग में पर्यटक जंगल की गहराई में जाकर प्रकृति और वन्यजीवन का आनंद लेते हुए जिम कॉर्बेट की जीवनी को भी जानने का अवसर पाते हैं।
जिम कॉर्बेट के घर से इतिहास का सजीव अनुभव: छोटी हल्द्वानी में स्थित जिम कॉर्बेट का घर आज एक म्यूजियम के रूप में पर्यटकों को उनके जीवन की झलक देता है। यहां उनकी किताबों, शिकार की कहानियों और पर्यावरण संरक्षण में दिए योगदान से जुड़ी जानकारियां मिलती हैं। खासकर वह स्थान जहां उन्होंने “बैचलर ऑफ पावलगढ़” जैसे आदमखोर बाघों का शिकार किया था, पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण बन चुका है।स्थानीय लोगों को मिल रहा रोजगार कॉर्बेट हेरिटेज सफारी के शुरू होने से न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिला है, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।जिप्सी चालक, नेचर गाइड और अन्य सहायक सेवाओं में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ी है. इससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास को गति मिली है।
इस जोन में कार्यरत वरिष्ठ नेचर गाइड मोहन पांडे का कहना है कि-इस जंगल सफारी में न सिर्फ वन्यजीवों के दीदार होते हैं, बल्कि पर्यटक जिम कॉर्बेट के जीवन और उनके काम को भी समझने आते हैं। कॉर्बेट की जीवनी और उनका परिवेश यहां जीवंत रूप में दिखाई देता है, जिससे लोग भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं। – मोहन पांडे, नेचर गाइड
रामनगर वन प्रभाग के डीएफओ दिगंत नायक ने बताया कि
“कालाढूंगी में जिम कॉर्बेट के घर से जुड़ी विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पिछले वर्ष दिसंबर में इस नए पर्यटन जोन की शुरुआत की गई थी. पर्यटकों को पवलगढ़ तक जंगल सफारी का अनुभव देने के लिए इसे विशेष रूप से तैयार किया गया है। – दिगंत नायक, डीएफओ, रामनगर वन प्रभाग
दिगंत नायक ने बताया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की अपनी प्रसिद्धि है। लेकिन कुछ पर्यटक ऐसे भी हैं, जो जिम कॉर्बेट की जीवनी पढ़ने के बाद उन स्थलों को देखना चाहते हैं, जहां उन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण पल बिताए। इसी सोच के साथ इस पर्यटन जोन की अवधारणा को मूर्त रूप दिया गया है। कॉर्बेट हेरिटेज टूरिज्म ज़ोन में इन दिनों पर्यटकों की खास रुचि देखने को मिल रही है। यहां की सफारी का अनुभव उन्हें रोमांचक और जानकारीपूर्ण लग रहा है। पर्यटकों का कहना है कि इस क्षेत्र की जैव विविधता, हरियाली और वन्य जीवन उन्हें मंत्रमुग्ध कर देते हैं। गाइड्स से मिली जानकारी और जंगल के रहस्यों को करीब से जानना उनके लिए एक यादगार अनुभव रहा। कॉर्बेट का यह इलाका न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता का भी संदेश देता है। यहां का दौरा हर प्रकृति प्रेमी के लिए खास बन रहा है।पर्यावरण और पर्यटन का संतुलन कॉर्बेट हेरिटेज जंगल सफारी न केवल पर्यटन को बढ़ावा दे रही है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय विरासत के संरक्षण की दिशा में भी एक प्रभावी कदम है। यहां पर्यटन को नियंत्रित और योजनाबद्ध तरीके से संचालित किया जा रहा है ताकि जैव विविधता पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।