रामगंगा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है लेकिन पानी उफान पर होने के कारण विकनपुर पुल का एप्रोच मार्ग कट गया है। इस कारण 15 गांवों का आवागमन बंद हो गया है। वहीं गागन नदी खतरे के निशान से अब भी 24 सेमी ऊपर बह रही है। हालात यह हैं कि नदी के किनारे बसे 40 परिवारों को मकान छोड़ कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ा है। बाढ़ के पानी में आफत नगरी और भोले नगरी के लोग काफी परेशान हैं। रामगंगा नदी के खतरे का निशान 190.60 मीटर है लेकिन इस नदी का जलस्तर शनिवार की सुबह खतरे के निशान से नीचे 189.66 मीटर पर आ गया है। इसी प्रकार गागन नदी के खतरे का निशान 192 मीटर है। यहां गागन नदी शाम को खतरे के निशान से 24 सेमी ऊपर बह रही है। स्थिति गंभीर देखते हुए जिले के अधिकारी गागन नदी से सटे भोला नगरी और आफत नगरी (शिवशक्ति नगरी) पर नजर रखे हुए हैं।
पुल का एप्रोच कटने से दलपतपुर-सुल्तानपुर मार्ग बंद
रामगंगा नदी में आई बाढ़ से विकनपुर पुल का एप्रोच कटने से 15 किसानों की खड़ी फसलें नदी में समा गईं। साथ ही दलपतपुर-सुल्तानपुर मार्ग बंद हो गया है। रामगंगा नदी गांव से करीब सौ मीटर दूर है। विकनपुर रामगंगा नदी के पुल का एप्रोच कटने से दलपतपुर-सुल्तानपुर मार्ग बंद हो गया है। नदी गांव की तरफ तेजी के साथ कटान कर रही है। तेज बहाव के चलते मुन्ना, रामवती, लल्ला महेंद्र, धर्मेंद्र, पूनम, शकुंतला, प्रेमपाल, जगदीश, चंद्रसैन, दौलत, गुड्डू, लक्ष्मी, गजेंद्र, राजेन्द्र के खेतों में खड़ी धान, चरई उड़द की फसलें नदी में समा गई हैं। किसान चंद्रप्रकाश ने बताया कि एक सप्ताह से नदी तेजी से कटान कर रही है। इस वजह से गांव की दूरी करीब सौ मीटर रह गई है। यदि इसी तरह कटान की रफ्तार रही तो गांव नदी में समा जाएगा। प्रधान रामकिशोर ने जिला प्रशासन से कटान रोकने के उपाय करने की मांग की है। गांव के लोग नदी की कटान से भयभीत हैं।
कांठ क्षेत्र के गांवों में अभी भी पानी भरा
कांठ तहसील क्षेत्र के दरियापुर गांव के अंदर और बाहर अभी भी पानी भरा है। इस गांव के रास्तों में दो गांवों की आबादी है। रास्ते पानी से भरे हैं। इसी प्रकार रफायतपुर गांव के 40 से 50 घरों में अभी भी पानी घुसा है। सलेमपुर के रास्तों में पानी होने के कारण वहां सामान्य ढंग से जाना मुश्किल है। फरीदपुर मेढ़ी के जंगल में दो घर पानी से घिरे हैं।