बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए रेल की पटरियों के बीच भारत का पहला हटाने योग्य सोलर पैनल सिस्टम स्थापित किया है। यह अनूठी पहल भारतीय रेलवे को नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर ले जाने में एक मील का पत्थर साबित होगी। बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने कार्यशाला की लाइन संख्या 19 पर स्थापित 15 किलोवाट क्षमता वाले इस पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। इस परियोजना में स्वदेशी डिजाइन का उपयोग कर 70 मीटर लंबी रेल ट्रैक पर 28 सौर पैनल लगाए गए हैं। ये पैनल ट्रेन के आवागमन में बाधा नहीं डालते और जरूरत पड़ने पर इन्हें आसानी से हटाया जा सकता है।
यह भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता को समाप्त करता है, क्योंकि यह पटरियों के बीच की खाली जगह का उपयोग करता है। इस परियोजना में ट्रेन से होने वाले कंपन से पैनलों की सुरक्षा और उनके मजबूत फिक्सेशन की व्यवस्था की गई है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए रबर पैड और एपॉक्सी एडहेसिव का इस्तेमाल किया गया। इस सफल परियोजना से प्रति किलोमीटर सालाना 3.21 लाख यूनिट ऊर्जा पैदा होने का अनुमान है। महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने कहा कि यह परियोजना न केवल सौर ऊर्जा के उपयोग का नया आयाम है, बल्कि यह भविष्य में भारतीय रेलवे के लिए हरित ऊर्जा का एक सशक्त मॉडल बनेगा।