उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के लिए अध्यादेश लाने का उनका उद्देश्य मंदिर का बेहतर प्रशासन है। सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना को दी गई मंजूरी स्थगित करने की बात भी कही क्योंकि इसके लिए हितधारकों से चर्चा नहीं की गई थी।
क्या हुआ सुनवाई के दौरान
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ के सामने पेश हुए एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि 2025 अध्यादेश का मंदिर प्रशासन के स्वामित्व के लंबित मुकदमे से कोई लेना-देना नहीं है और न ही इससे मंदिर के किसी धार्मिक अधिकार में हस्तक्षेप किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘अध्यादेश सिर्फ मंदिर के बेहतर प्रशासन के लिए जारी किया गया था, जहां हर हफ्ते 2-3 लाख श्रद्धालु आते हैं। हमें बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता है, साथ ही हमें धन के कुप्रबंधन को भी रोकना है। ये अलग-अलग विचार हैं, जो सरकार के दिमाग में थे। इसके बाद पीठ ने नटराज से कहा कि उनकी दलीलें अच्छी हो सकती हैं, लेकिन अध्यादेश को चुनौती देने का मामला उच्च न्यायालय में स्थानांतरित होने पर ही यह संभव हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए अध्यादेश जारी करने में उत्तर प्रदेश सरकार की जल्दबाजी पर सवाल उठाया था। पीठ ने इस मामले पर सुनवाई शुक्रवार तक स्थगित कर दी। पीठ ने दोनों पक्षों से एक अंतरिम उपाय के रूप में मंदिर प्रबंधन की निगरानी के लिए एक समिति के प्रमुख के रूप में उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए अपनी सिफारिशें देने को भी कहा।
क्या है पूरा मामला
बांके बिहारी मंदिर से जुड़ा विवाद मंदिर के सेवायतों के दो संप्रदायों के बीच लंबे समय से चले आ रहा है। लगभग 360 सेवायतों वाले इस मंदिर का प्रबंधन ऐतिहासिक रूप से स्वामी हरिदास जी के वंशजों और अनुयायियों द्वारा निजी तौर पर किया जाता रहा है। 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2023 के आदेश में संशोधन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के धन का उपयोग कॉरिडोर विकास के लिए मंदिर के आसपास की 5 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने की अनुमति दी, इस शर्त पर कि अधिग्रहित भूमि देवता के नाम पर पंजीकृत होगी। हाल ही में, राज्य ने 2025 का अध्यादेश जारी किया, जो मंदिर प्रशासन को एक वैधानिक न्यास प्रदान करता है। इसके अनुसार, मंदिर का प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं की जिम्मेदारी ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास’ द्वारा संभाली जाएगी। 11 न्यासी मनोनीत किए जाएंगे, जबकि अधिकतम 7 सदस्य पदेन हो सकते हैं।







