सेल की ओर से एक साल में एक भी कार्रवाई नहीं की गई है। जल संस्थान इसके लिए पुलिस की मदद न मिलने को अहम कारण बता रहा है। पेयजल चोरी रोकने और अवैध कनेक्शन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उत्तराखंड जल संस्थान की ओर से एक साल पहले गठित हुई विजिलेंस सेल कोई असर नहीं डाल पाई। जिस लक्ष्य के साथ विजिलेंस सेल का गठन किया गया था, वह हासिल नहीं हो सका। इसमें सबसे अहम कारण पुलिस का सहयोग नहीं मिलना है। फिलहाल अलग-अलग डिविजन के माध्यम के पेयजल संबंधी समस्याओं का पता किया जा रहा है। उत्तराखंड में पानी की चोरी रोकने और अवैध कनेक्शन धारकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के साथ ही राज्य में भूजल के अवैध दोहन करने वाले पर कार्रवाई करने के लिए विजिलेंस सेल का गठन किया गया था। जल संस्थान ने विजिलेंस सेल का गठन करने के साथ ही स्टाफ तैनात कर दिया था।
इसमें साउथ डिविजन के अधिशासी अभियंता अशीष भट्ट, अब्दुल राशिद, बीएस नेगी, जगदीश पंवार, अनिरुद्ध भंडारी, दीपेंद्र बिष्ट, विनोद असवाल, लेखाधिकारी अनुज काला को शामिल किया गया था। विजिलेंस सेल में पुलिस से प्रतिनियुक्ति पर डीएसपी लिए जाने थे, लेकिन एक साल बाद भी टीम धरातल पर उतरकर कोई असर नहीं डाल पाई। जबकि मेंहूवाला पेयजल क्लस्टर योजना के तहत पिछले दिनों पेयजल निगम ने करीब पांच हजार अवैध कनेक्शन पकड़े हैं। एक योजना के तहत इतने अवैध कनेक्शन सामने आए हैं तो पूरे प्रदेश में क्या हाल होगा इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। इस संबंध में आरकेडिया की गीता बिष्ट ने जल संस्थान महाप्रबंधक को ईमेल कर विजिलेंस सेल को धरातल पर उतारने की मांग की है। – डीके सिंह, महाप्रबंधक, उत्तराखंड जल संस्थान