Friday, November 14, 2025
advertisement
Homeउत्तराखण्डसामान्य तरीके से होंगे शादियों के कार्यक्रम आपदा ने उजाड़े घर धुर्मा...

सामान्य तरीके से होंगे शादियों के कार्यक्रम आपदा ने उजाड़े घर धुर्मा गांव में नहीं मनाएंगे पर्व

आपदा प्रभावित धुर्मा गांव में इस बार लोग नवरात्र नहीं मनाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक लापता दोनों लोगों का पता नहीं चल जाता तब तक वे किसी भी रीति रिवाज से दूर रहेंगे। गांव में इस बार पांडव लीला भी होनी थी मगर इस बार वह भी नहीं होगी। दशहरे पर होने वाली शादियों के कार्यक्रम भी सामान्य तरीके से मनाए जाएंगे।धुर्मा गांव में आपदा को एक सप्ताह होने वाला है लेकिन अभी तक लोग उस सदमे से उभर नहीं पाए हैं। सोमवार से नवरात्रि शुरू हो गए हैं। सामान्य दिनों में यहां नवरात्र के लिए खूब चहल पहल रहती थी। मगर इस बार आपदा ने गांव को ऐसे जख्म दिए हैं कि उन्हें भरने में काफी वक्त लग जाएगा। लोग अब भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

तीन शादियां दशहरे के बाद
मकान कैसे बन पाएंगे, रहने व खाने का सामान बरबाद हो गया है। गांव के मंगल सिंह ने बताया कि गांव के लोग इस बार नवरात्र नहीं मनाएंगे। इस बार गांव में पांडव लीला का भव्य आयोजन होना था। मगर अब पांडव लीला भी नहीं हो पाएगी। बताया कि गांव में मेरे बेटे सहित तीन शादियां दशहरे के बाद होनी हैं। सभी वैवाहिक कार्यक्रम सामान्य तरीके से संपन्न होंगे।

धीरे-धीरे पुराने घरों में जा रहे लोग
धुर्मा गांव का पुराना मूल गांव करीब एक किमी ऊपर है। जहां लोगों के पुश्तैनी मकान हैं। उनमें कुछ मकान रहने लायक हैं जिसमें लोग शिफ्ट हो रहे हैं। भूपाल सिंह, पुष्पा देवी, गोमती देवी, यशवंत सिंह, कान सिंह, सूरज सिंह, राजेंद्र सिंह, इंद्र सिंह, दिलवर सिंह सहित कई परिवार पुराने घरों में जा चुके हैं।

पूर्व विधायक जीतराम ने किया निरीक्षण
पूर्व विधायक जीतराम ने आपदा प्रभावित धुर्मा, सेरा आदि क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने प्रभावितों से बात की। कहा कि लापता लोगों की खोज में मैन पावर को बढ़ाना चाहिए। जल्द से जल्द मशीनों को गांव तक पहुंचाया जाना चाहिए ताकि तलाश तेज की जा सके। कहा कि कुंतरी, सेरा, धुर्मा सहित सभी जगह प्रभावितों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए।

कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया
विनसर पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित जिस महादेव मंदिर में लोग सुख-समृद्धि की कामना करते थे उसी पहाड़ी से मिट्टी और मलबे का ऐसा सैलाब फूटा कि देखते ही देखते हंसते-खेलते गांव मलबे के ढेर में तब्दील हो गए। नंदानगर के आठ किलोमीटर के दायरे में कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया है कि हर कदम पर तबाही के निशान नजर आ रहे हैं। अपने उजड़े घर, खेत-खलिहान देखकर आपदा प्रभावितों की आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं।

spot_img
spot_img
spot_img
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine
https://bharatnews-live.com/wp-content/uploads/2025/10/2-5.jpg





Most Popular

Recent Comments