Monday, September 22, 2025
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चीन-तुर्किये के किन हथियारों के साथ भारत से लड़ रहा था पाकिस्तान

भारत की तरफ से पाकिस्तान के आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की जबरदस्त सफलता के सबूत मिलने जारी हैं। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में आतंकियों के नौ ठिकानों से लेकर उसके एयरबेस पर हमले तक की सैटेलाइट तस्वीरें और कई वीडियोज जारी किए हैं। इतना ही नहीं भारत की तरफ से पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए कुछ खास हथियारों के इस्तेमाल होने की भी बात सामने आ रही है। इस बीच सोमवार को डीजीएमओ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन हथियारों की जानकारी दी गई, जिन्हें पाकिस्तान की तरफ से भारत पर हमले के लिए इस्तेमाल किया गया। बड़ी बात यह रही कि पाकिस्तान का एक भी हथियार भारतीय सेना को नुकसान नहीं पहुंचा पाया और इन्हें भारत में मार गिराया गया। उन्होंने पीएल-15 मिसाइल से लेकर तुर्किये के बायकर यीहा-III कामिकाजे ड्रोन्स तक का मलबा दिखाया। ऐसे में यह जानना अहम है कि भारतीय सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान की तरफ से किन-किन हथियारों के इस्तेमाल की बात कही है? इन हथियारों की क्षमता के बारे में क्या-क्या बातें सामने आई हैं? यह हथियार किस-किस देश से जुड़े हैं? इसके अलावा भारत ने इन हथियारों को नाकाम कैसे किया? एक और वार से नेस्तनाबूद हो जाता पाकिस्तान: ऑस्ट्रियाई रक्षा विशेषज्ञ ने भारत को करार दिया विजेता, बताईं वजहें किन-किन हथियारों से पाकिस्तान ने भारत पर बोला हमला?

चीन की पीएल-15 मिसाइल
तुर्किये के बायकर यीहा-III कामिकाजे ड्रोन्स बायकर यीहा-III ड्रोन्स का निर्माण तुर्किये करता है। यह कामिकाजे वर्ग के ड्रोन्स हैं, जो कि जबरदस्त विस्फोटक सामग्री लेकर दुश्मन के ठिकानों से टकराकर उन्हें तबाह करने की क्षमता रखते हैं।कामिकाजे ड्रोन्स की खासियत होती है कि वह अपने लक्ष्यों को नुकसान पहुंचाने के लिए उनसे टकराकर खुद भी ध्वस्त हो जाता है। यानी यह एक बार इस्तेमाल किया जाने वाला सिंगल मिशन ड्रोन है।यह ड्रोन OMTAS टैंक-रोधी गाइडेड मिसाइल की तर्ज पर काम करता है। इसे मिसाइल के आकार में ही बनाया गया है और इसमें पीछे की तरफ प्रोपेलर इंजन दिया गया है। इसके चलते यह लंबे समय तक हवा में रह सकता है।बायकर ड्रोन्स में चीन में बनाया गया डीएलई-170 कम्बशन इंजन लगा है। इससे यह कई सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है और सामने वाले देश के अंदरूनी हिस्सों को निशाना बना सकता है।बायकर को विमानों के लिए बनाए गए रनवे से लेकर गुलेल जैसे एक सिस्टम से भी लॉन्च किया जा सकता है, जिससे इसे कभी भी और कहीं भी हमले के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत के अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तान ने इन ड्रोन्स का लगातार इस्तेमाल किया। 10 मई को इन ड्रोन्स को पंजाब के रिहायशी इलाकों में वार करने के लिए भेजा गया था। हालांकि, भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने में इनमें से अधिकतर ड्रोन्स नाकाम रहे। डीजीएमओ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि कई ड्रोन्स को खत्म करने के लिए भारत ने लेजर वेपन सिस्टम का भी इस्तेमाल किया।

चीन का एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम
भारत की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर की लॉन्चिंग के ठीक बाद पाकिस्तान ने 7 से 8 मई की दरमियानी रात में फिर हमले की कोशिश की। जवाब में भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस यूनिट को निशाना बनाया। इससे लाहौर की सुरक्षा में तैनात एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह तबाह हो गया।पाकिस्तान ने इन्हें कूटनीतिक तौर पर अहम कई ठिकानों पर तैनात किया है। हालांकि, भारत के सटीक निशानों ने इन एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर चीनी हथियारों की क्षमता की पोल खोल दी। इतना ही नहीं 10 मई को पाकिस्तान के एयरबेसों को निशाना बनाने के दौरान भारत के खिलाफ चीन की यह रक्षा प्रणाली पूरी तरह नाकाम रही।

चीन का जे-10सी लड़ाकू विमान
इस पूरे युद्ध में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ चीन की तरफ से निर्मित जे-10सी लड़ाकू विमानों के इस्तेमाल की बात कही है। इनका निर्माण चीन का चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ग्रुप करता है और यह 2003 से चीनी वायुसेना में सेवा दे रहे हैं। चीन का यह एक इंजन वाला लड़ाकू विमान चौथी पीढ़ी का एयरक्राफ्ट कहा जाता है। चीन के अलावा इसे सिर्फ पाकिस्तान की वायुसेना ही उड़ाती है। 2020 में पाकिस्तान ने 36 जे-10सीई वर्जन खरीदे थे। इसके साथ पाक ने 250 पीएल-15ई मिसाइलें भी खरीदीं। पहले छह विमान पाकिस्तान को 2022 में मिले। बाद में चीन ने अपनी सप्लाई जारी रखी। बताया जाता है कि चीन का जे-10सी फ्रांस के मिराज सीरीज के लड़ाकू विमानों की तर्ज पर बना है। जे-10सी 500 किलो के छह लेजर गाइडेड बम ले जा सकता है। इसके अलावा 90 मिमी के अनगाइडेड रॉकेट और सीधे गिरने वाले बम भी रखता है। इसमें एक 23 मिमी की तोप भी है। भारत ने पाकिस्तान की तरफ से इस्तेमाल किए जा रहे इन चीनी लड़ाकू विमानों को एलओसी के पास फटकने भी नहीं दिया। भारत के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों का खतरा देखते हुए पाकिस्तान के एफ-16 और जे-17 जैसे लड़ाकू विमान भी सीमाई इलाके से दूर ही रहे।

चीन की एसएच-15 तोपें
भारत की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर चीन की निर्मित एसएच-15 तोपों से गोलाबारी जारी रखी है। चीन की एसएच-15 तोपें असल में 155 मिमी गोले दागने की क्षमता वाला माउंटेड गन सिस्टम (एमजीएस) है। इन तोपों की खास बात यह है कि इन्हें ट्रक आधारित एक प्लेटफॉर्म पर लगाया जाता है, जिससे इन्हें लाने-ले जाने में आसानी होती है।पाकिस्तान ने इसे चीन से 2019 में खरीदा था। इनकी रेंज 20 किलोमीटर तक होती है और यह पारंपरिक शेल्स के जरिए वार करते हैं। प्रोजेक्टाइल रॉकेट लॉन्चिंग की वजह से यह 53 किमी दूर तक जा सकते हैं।यह तोपें एक मिनट में चार से छह राउंड तक दाग सकती हैं। चीन ने इन्हें खासतौर पर शांक्सी मिलिट्री ट्रकों पर लगाया है, जिसका केबिन भी हथियारों के वार को झेल सकता है। इसमें बंदूकधारी छह सैनिक भी सवार हो सकते हैं। दावा है कि एसएच-15 तोपों में जीपीएस सिस्टम लगा है, जिससे कठिन सतहों पर भी यह अचूक निशाने साध सकती हैं। इसलिए पाकिस्तान ने इन्हें कश्मीर से लेकर सिंध के रेतीले इलाकों और पंजाब के कुछ इलाकों में भी तैनात किया है। भारत ने पाकिस्तान की तरफ से किए गए इन वारों का माकूल जवाब दिया। वायुसेना ने एक सधे हुए निशाने में कई तोपों को तबाह भी किया। इससे पाकिस्तान की भारत पर हमला करने की शक्ति को ही खत्म कर दिया गया।

फतह रॉकेट लॉन्चर सिस्टम
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान ने भारत पर वार करने के लिए फतह-1 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम का भी इस्तेमाल किया। यह पाकिस्तान के बनाए रॉकेट लॉन्चर्स हैं, जो कि अलग-अलग क्षमता और रेंज वाले रॉकेट लॉन्च करते हैं।पाकिस्तान ने अपने फतह सिस्टम को भारत पर हमले के लिए इस्तेमाल किया। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि इसके रॉकेट्स को भी भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने मार गिराया। इनमें से कुछ रॉकेट्स के मलबे हरियाणा के सिरसा में गिरे। भारत ने फतह सिस्टम से हमले के सबूत भी इकट्ठा कर लिए। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत पर सैकड़ों वार किए गए, लेकिन पाकिस्तान के पास एक समय के बाद इस प्रणाली की कमी होने लगी।

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