गैरसैंण। उत्तराखंड में इन दिनों खेतों का माहौल शानदार दिख रहा है. मानसून की रिमझिम के बीच धान की रोपाई चल रही है. हरे भरे खेतों में महिलाएं थान की रोपाई कर रही हैं. पहाड़ी जिलों में धान की रोपाई होते देखने सुखद अनुभव होता है. अपनी धुन में तल्लीन महिलाएं खेतों में धान की रोपाई कर रही हैं।
सोनियाणा गांव में धान की रोपाई। उत्तराखंड के चमोली जिले के गैरसैंण तहसील स्थित सोनियाणा गांव के खेतों में धान की रोपाई हो रही है. पहाड़ी के नीचे स्थित सोनियाणा एक सुंदर और पेड़ पौधों से अच्छादित हरा भरा गांव है। इस गांव की जनसंख्या करीब 200 है।यहां का मुख्य आजीविका का साधन कृषि है। इन दिनों यहां धान की रोपाी चल रही है। रामगंगा और धुनारघाट बाजार के ठीक ऊपर स्थित सोनियाणा गांव हरित क्रांति का भी एक अनुपम उदाहरण है।
खरीफ की फसल है धान। धान खरीफ की फसल है. जून के आखिर और जुलाई की शुरुआत में धान की रोपाई होती है। उत्तराखंड में सवा दो लाख हेक्टोयर से अधिक भूमि पर धान की खेती होती है. राज्य में 6 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान का उत्पादन होता है। धान उत्पादन में राज्य के ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल तथा पौड़ी गढ़वाल के भाबर इलाके अग्रणी हैं। पहाड़ी जिलों में ज्यादतर किसानों के अपने खाने के लिए ही धान का उत्पादन होता है। पहाड़ी में कठिन काम है खेती करना पहाड़ी जिलों में खेती का काम कठिन है। यहां सीढ़ीदार खेत होते हैं. चूंकि उत्तराखंड में चकबंदी नहीं हुई है तो खेती छितराई हुई है. एक से दूसरे खेत की दूरी अक्सर एक से दो किलोमीटर दूर तक भी होती है. ऐसे में खेती करना बहुत मुश्किल कार्य है। इसके साथ ही अब जंगली सुअर और बंदर पहाड़ की खेती को तहस-नहस कर रहे हैं. इससे भी लोगों का खेती से मोहभंग होने लगा है।