विकासनगर। रोशनी के पर्व दिवाली को लेकर कुम्हारों ने मिट्टी की दीये बनाना शुरू कर दिए हैं। कुम्हारों के पास मिट्टी के दीयों की भारी डिमांड आ रही है, लेकिन मिट्टी की उपलब्धता ना होने से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की है कि हस्तकला के कारीगारों को जंगल से मिट्टी उठाने में सरलता प्रदान करें, ताकि पंरपरागत तरीके से मिट्टी के बर्तन और दीए बनाए जा सकें।
कुम्हारों को उपलब्ध नहीं हो रही मिट्टी। कुम्हार टीटू लाल ने बताया कि वर्तमान समय में मिट्टी की उपलब्धता न होने के कारण उन्हें अपनी कला को आगे बढ़ाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।अगर आगे भी यही हाल रहा, तो उन्हें यह काम जारी रखना मुश्किल पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी वजह से काफी लोग अपने पुस्तैनी काम को छोड़ चुके हैं। लेकिन हम पिछले 40 सालों से लगातार अपना पुस्तैनी कार्य जैसे मिट्टी के बर्तन और दीये बनाने का काम कर रहे हैं।
कुम्हारों ने सरकार से मिट्टी उपलब्ध कराने की रखी मांग। कुम्हार सुखलाल ने बताया कि सरकार द्वारा सहयोग नहीं मिलता है। जिससे वन क्षेत्र से मिट्टी लाने में समस्या होती है। वर्तमान में अन्य जगहों पर मिट्टी की उपलब्धता आसान है। लेकिन वन विभाग द्वारा जंगलों से मिट्टी उपलब्ध नहीं हो पाती है। जिससे परंपरागत कार्य करने में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को जंगल से कुम्हारों के लिए मिट्टी उपलब्ध करानी चाहिए।
लोकल उत्पादों को दिया जा रहा बढ़ावा। दिवाली पर मिट्टी के दीये से घरों को सजाना शुभ माना जाता है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी लोगों से लोकल उत्पादों को अपनाने की अपील करते रहते हैं। इसके अलावा लोकल उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।