Thursday, November 6, 2025
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पेड़ों की टहनियां तोड़कर कर्मी जैसे तैसे बुझाते हैं आग महज 350 की दिहाड़ी के लिए जोखिम में जान

दो जून की रोटी और महज साढ़े तीन सौ रुपये की दिहाड़ी में वन विभाग के साथ काम करने वाले फायर वॉचर और दैनिक श्रमिक अपनी जान में जोखिम में रखकर वनाग्नि से निपटने में अपनी अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन वन महकमे को उनकी जान की कोई फ्रिक नहीं होती। फायर सीजन निपटते ही वे फिर बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर हो जाते हैं। मेहनत मजदूरी के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता। फायर सीजन के दौरान अगर कोई हादसा हो जाए तो उनके परिवार के सामने दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। प्रदेश में वन विभाग में कर्मचारियों का जबरदस्त टोटा है। फायर सीजन में विभाग ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार ग्रामीणों को मामूली मानदेय पर फायर वॉचर अथवा दैनिक श्रमिक के रूप में रख लेता है।

विभाग के अन्य कार्यों के अलावा ये फायर वॉचर और दैनिक श्रमिक वनाग्नि की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए भी जी-जान से मेहनत करते हैं लेकिन विभाग से इन्हें एक फायर किट, आग बुझाने के लिए एक झापा, दस्ताने, फायर जैकेट और टॉर्च के अलावा और कुछ नहीं मिलता।अप्रशिक्षित फायर वॉचर और श्रमिक पूरे सीजन में पेड़ों की टहनियों को तोड़कर जैसे तैसे जंगलों की आग को बुझाते हैं। अल्मोड़ा जिले में यहां वन प्रभाग के अंतर्गत 189 और सिविल सोयम वन प्रभाग के अंतर्गत करीब 99 फायर वाचर हैं। इनकी सुरक्षा के प्रति वन महकमा कितना जिम्मेदार है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विभाग उन्हें प्रशिक्षण देना तो दूर इनका बीमा तक नहीं कराता है। महीने में करीब 26 दिन काम करने के बाद इन्हें महज 9800 रुपये मिलते हैं लेकिन कई बार विभाग समय पर उन्हें इस धनराशि का भुगतान भी नहीं कर पाता है।

जंगल की आग बुझाने में फायर कर्मियों की भूमिका भी कम नहीं
समूचा कुमाऊं खासकर अल्मोड़ा जिला इस समय भीषण वनाग्नि की लपटों में झुलस रहा है। इस फायर सीजन में अग्निशमन विभाग ने भी वन विभाग के कंधे से कंधा मिलाया है। अग्निशमन विभाग पर इन घटनाओं से निपटने के अलावा वीवीआईपी ड्यूटी को संभालने का जिम्मा भी है। जनवरी से अब तक की अल्मोड़ा जिले में वनाग्नि की घटनाओं में वन विभाग कम बल्कि फायर महकमा अधिक सक्रिय दिखाई दिया। विभाग के कर्मचारी अब तक करीब वनाग्नि की 128 और अग्निकांड की दस अन्य घटनाओं पर काबू पा चुके हैं। अग्निशमन विभाग के पास संसाधन भी सीमित हैं। विभाग के पास दो बड़े वाटर टैंडर, एक फॉम टेंडर, एक क्रेश फायर, एक छोटा हाईप्रेशर वाहन ही है। बड़ी घटनाएं होने पर अग्निशमन विभाग को भी बागेश्वर या अन्य जनपदों से मदद लेनी पड़ती है। वाहनों में पानी भरने के लिए पातालदेवी और सर्किट हाऊस के पास जल संस्थान ने व्यवस्था की है लेकिन कभी घटनास्थल पर पानी कम पड़ जाए तो पानी के लिए भी फायर कर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इन सब के बाद भी महकमे के कर्मियों को जहां भी आग लगने की सूचना मिलती है वे वहां आग बुझाने तत्काल पहुंच जाते हैं।

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