Friday, November 7, 2025
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हर आरोपी की उम्र की जांच अनिवार्य होगी

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए निर्देश दिए हैं कि किसी भी आरोपी की उम्र को लेकर संदेह की स्थिति में मजिस्ट्रेट या संबंधित न्यायालय सबसे पहले उसकी उम्र की जांच करेंगे। हरिद्वार से संबंधित हत्या के मामले में सजा काट रहे एक किशोर के मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि वारदात के समय आरोपित उम्र के हिसाब से नाबालिग था। इस निर्णय के बाद आरोपित को अब किशोर न्याय अधिनियम का लाभ मिलेगा।

हाईकोर्ट ने उसे जुवेनाइल मानते हुए मामला किशोर न्याय बोर्ड को भेजने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि वारदात के समय आरोपी की उम्र महज 14 साल 7 माह 8 दिन थी, इसलिए उसे नाबालिग माना जाएगा।न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी भी आरोपी की उम्र को लेकर संदेह की स्थिति में मजिस्ट्रेट या संबंधित न्यायालय सबसे पहले उसकी उम्र की जांच करेंगे। जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल रजिस्टर और अनुपलब्धता की स्थिति में चिकित्सकीय परीक्षण के आधार पर उम्र तय की जाएगी।

सजा पर रोक और जमानत बरकरार
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की सजा पर पहले से लगी रोक और जमानत आदेश यथावत रहेंगे। साथ ही, निचली अदालत का पूरा रिकॉर्ड किशोर न्याय बोर्ड को भेजा जाएगा ताकि वह कानून के अनुसार मामले का नया निर्णय कर सके।

रजिस्ट्री को दिए ये निर्देश
कोर्ट ने इस न्यायालय के महापंजीयक (रजिस्ट्री) को निर्देश दिए कि इस आदेश को इस आशय के अनुपालन के लिए आपराधिक क्षेत्राधिकार से संबंधित सभी ट्रायल कोर्ट्स, मजिस्ट्रेट न्यायालय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सेशन्स तथा विशेष न्यायालयों को प्रेषित किया जाए कि प्रथम रिमांड लेते समय संबंधित न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को अभियुक्त की आयु सुनिश्चित करनी होगी। यदि अभियुक्त की आयु निर्धारित नहीं की जा सकती है, तो उसे जन्म प्रमाण पत्र और स्कूल में प्रथम प्रवेश रजिस्टर आदि साधनों से निर्धारित किया जाएगा। यदि इनसे उम्र स्पष्ट न हो तो उम्र की पुष्टि के लिए चिकित्सकीय परीक्षण भी किया जा सकता है।

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