आपदा से जूझ रहे देहरादून में 24 साल में 684 हेक्टेयर वन आवरण (ट्री कवर) घट गया है, जिससे 443 किलो टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड वायुमंडल में घुल गई। जंगल कम होने से यहां का तापमान बढ़ा, पानी घटा और जैव विविधता पर भी संकट आ गया है। वैज्ञानिकों ने सीधे तौर पर इससे जलवायु परिवर्तन होने का दावा किया है।देवभूमि उत्तराखंड विवि के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के राहुल का एक शोध पत्र अगस्त माह में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुआ है। इसमें किया गया शोध चिंता बढ़ाने वाला है। उन्होंने बताया है कि वर्ष 2001 से 2024 तक दून में 684 हेक्टेयर वन आवरण घट गया है।
2020 में यहां 1,24,000 हेक्टेयर प्राकृतिक वन थे, जिसमें से वर्ष 2024 तक 41 हेक्टेयर खत्म हो गए। इन पेड़ों की कटाई से 12.4 किलो टन कार्बन डाई ऑक्साइड वातावरण में घुल चुका है, जो सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है।देहरादून में शहरी विस्तार और जलवायु परिवर्तन के खतरे पर आधारित इस शोध में राहुल ने बताया है कि वर्ष 2019 से 2025 तक देहरादून और उत्तराखंड में पर्यटन में लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2020-21 में कोविड के कारण गिरावट आई, लेकिन इसके बाद तेजी से वापसी हुई है। अधिक पर्यटकों की वजह से बड़े पैमाने पर कूड़ा, प्रदूषण और अवैध निर्माण ने जंगलों को नुकसान पहुंचाया है।