नगर निगम ने अक्तूबर 2020 में कोरोनाकाल में निरंजनपुर स्थित खसरा संख्या 464 में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की थी। इस दौरान सरिता पत्नी हरिनाथ, गुड्डी पत्नी सुरेंद्र सिंह और शांति देवी पत्नी बाबूलाल के मकानों को तोड़कर उन्हें यहां से बेदखल कर दिया था। इस कार्रवाई के बाद पीड़ितों ने कोर्ट से गुहार लगाई थी। बताया था कि वर्ष 1995 में पिछड़े एवं अनुसूचित जाति के आवासहीन व्यक्तियों को निरंजनपुर में भूखंड दिए गए थे। निरंजनपुर में अतिक्रमण हटाओ अभियान में तोड़े गए तीन लोगों के मकानों को नगर निगम को दोबारा बनाकर देना होगा। यही नहीं अक्तूबर 2020 से अब तक मकान के स्वामियों को एक हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से हर्जाना भी अदा करना होगा। नगर निगम की कार्रवाई के खिलाफ द्वितीय अपर सिविल जज इंदु शर्मा की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट में सिद्ध हुआ कि जिस वक्त यह कार्रवाई हुई थी तब संपत्तियां विवादग्रस्त थीं। ऐसे में यह कार्रवाई नियम विरुद्ध पाई गई है। कोर्ट ने मकान बनाकर देने के लिए एक महीने का समय दिया है।
तीनों पीड़ितों को भी 0.03 एकड़ (प्रत्येक को) भूखंड दिए गए। इन भूखंडों पर उन्होंने मकानों का निर्माण कराया था। उस वक्त से ही सभी लोग यहां पर काबिज हो गए और सरकारी दस्तावेज में भी उनके नाम दाखिल हो गए।वर्ष 2003 में नगर निगम की ओर से इस जमीन को अपना बताते हुए नोटिस जारी किए गए। उन्हें बताया कि यदि जमीन खाली नहीं की तो पुलिस और प्रशासन की मदद से इन्हें ढहा दिया जाएगा। पीड़ितों ने कोर्ट की शरण लेकर नगर निगम के इस आदेश पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया। वर्ष 2017 में वादी के अनुपस्थित होने के कारण वाद निरस्त हो गया। बाद में इसे पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रार्थनापत्र कोर्ट में दाखिल किया गया। वर्ष 2020 में फिर से यह वाद स्वीकार कर लिया गया और 2003 के मूल नंबर पर आ गया। इसी बीच नगर निगम ने कार्रवाई करते हुए तीन पीड़ितों के मकान ढहाकर उन्हें निष्कासित कर दिया। कोर्ट में पीड़ितों ने अपने मकानों के निर्माण और हर्जाने की मांग की थी। पीड़ितों के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस क्रम में पिछले दिनों द्वितीय अपर सिविल जज इंदु शर्मा ने नगर निगम के खिलाफ फैसला सुनाया है। न्यायालय ने पाया कि इन संपत्तियों के संबंध में न्यायालय में वाद चल रहा था। बावजूद इसके नगर निगम ने यह कार्रवाई की, जो कि नियम विरुद्ध है। ऐसे में पीड़ित हर्जाना पाने की योग्य हैं।
गुड्डी और शांति देवी की हो चुकी है मृत्यु
पीड़ितों में गुड्डी पत्नी सुरेंद्र सिंह और शांति देवी पत्नी बाबूलाल की मृत्यु हो चुकी है। अब गुड्डी के वारिस के रूप में उनके पुत्र संदीप सिंह और पति सुरेंद्र सिंह हर्जाने के हकदार होंगे। इसके साथ ही शांति देवी के चार वारिसों को हर्जाना दिया जाएगा। इनमें में उनके पति बाबूलाल, पुत्र रविंद्र, सुरेंद्र और अरुण शामिल हैं।