Friday, November 7, 2025
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लगातार कोशिश के बावजूद प्रदेश के नहीं मिल रही 25 या 10 साल के लिए बिजली

उत्तराखंड को लगातार प्रयास के बावजूद 25 या 10 साल के पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) के लिए कंपनी नहीं मिल रही है। लांग टर्म का आखिरी पीपीए एसजेवीएनएल से 200 मेगावाट का सोलर ऊर्जा का हुआ है जबकि मीडियम टर्म के लिए टेंडर निकालने के बावजूद 300 मेगावाट के सापेक्ष 40 मेगावाट का ही विकल्प मिला है। राज्य में लगातार बढ़ रही बिजली की जरूरतों के बीच उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन रही है। हालात ये हैं कि यूपीसीएल की कोशिशों के बावजूद मीडियम टर्म यानी 10 साल तक के लिए बिजली खरीदने को कंपनी नहीं आ रही हैं। आलम ये है कि यूपीसीएल ने मीडियम टर्म के लिए एक टेंडर निकाला।

कंपनी आई लेकिन उसके बिजली के दाम सात रुपये थे, जिससे आपूर्ति, लाइन लॉस आदि के बाद दाम करीब आठ रुपये तक आते। लिहाजा, यह टेंडर स्क्रैप करना पड़ा। इसके बाद यूपीसीएल ने 300 मेगावाट का तीन साल का दूसरा मीडियम टर्म टेंडर निकाला। इसमें भी कोई कंपनी नहीं आई। सात बार तिथि बढ़ाई तब जाकर एक कंपनी 40 मेगावाट का 6.48 रुपये का ऑफर लेकर आई है। लांग टर्म का देखें तो पिछले दिनों आखिरी लांग टर्म पीपीए 25 साल के लिए एसजेवीएनएल से किया गया, जो 200 मेगावाट का है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने पिछले दिनों इस मामले को लेकर यूपीसीएल से जवाब भी मांगा है।

पूर्व एमडी के कार्यकाल में हाथ से निकला मौका
यूपीसीएल के पूर्व एमडी बीसीके मिश्रा के कार्यकाल में एल एंड टी कंपनी ने रुद्रप्रयाग स्थित अपने सिंगौली भटवाडी प्रोजेक्ट से 100 मेगावाट बिजली 35 साल के लिए देने का प्रस्ताव मिला था। खास बात ये है कि इस बिजली के दाम भी महज 4.35 रुपये प्रति यूनिट थे लेकिन तत्कालीन प्रबंधन ने इसमें रूचि नहीं ली थी। बाद में एल एंड टी ने अपना यह प्रोजेक्ट रिन्यू एनर्जी को बेच दिया था जो बाजार में बिजली बेच रही है।जिस हिसाब से राज्य में बिजली की मांग बढ़ रही है, उसके सापेक्ष राज्य को लांग टर्म या मीडियम टर्म पीपीए की सख्त जरूरत है। हम कोशिश कर रहे हैं कि इस दिशा में और बेहतर प्रयास हों, ताकि बिजली उपलब्धता बढ़े। – नीरज सती, सचिव, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग

हाइड्रो या थर्मल के नए प्रोजेक्ट आने पर लांग टर्म पीपीए की राह आसान होती है। लंबे समय से ऐसे प्रोजेक्ट बाजार में नहीं आ रहे हैं। मीडियम टर्म के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कुछ सफलता मिलेगी। – अनिल कुमार, एमडी, यूपीसीएल

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