हरिद्वार। मानसून सीजन में शहर को जल प्रलय जैसी स्थिति से बचाने के लिए जिलाधिकारी ने रणनीति में बदलाव किया है। इसके तहत अब बीएचईएल क्षेत्र से होकर शहर में तबाही मचाने वाले पानी को रोकने की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए छह तालाब चिन्हित किए गए हैं। यह तालाब बीएचईएल के अपने चरम अस्तित्व में रहते हुए बनाए गए थे। हालांकि इसकी निगरानी और देखरेख नहीं की गई, जिससे पानी का पूरा वेग शहर में आता है। नगर निगम इन छह में चार तालाब की खोदाई शुरू करेगा। कोशिश यह की जा रही है कि इसमें करीब 35 मिलियन लीटर पानी एकत्र किया जा सके। मानसून सीजन में शहर के मध्य में पहाड़ से होकर बीएचईएल क्षेत्र से आने वाला पानी बहता है। इस वजह से कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात हो जाते और व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ता है। जिलाधिकारी मानसून सीजन में शहर में बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए लगातार बैठक कर रहे हैं।
मंगलवार को बैठक के दौरान उन्होंने पूर्व में विभिन्न विभागों से मिले सुझाव के आधार पर एसडीएम अजयवीर सिंह के नेतृत्व में टीम का गठन किया। एसडीएम ने बीएचईएल के अधिकारियों के साथ मौके का निरीक्षण किया। इसमें मिला कि टिबड़ी क्षेत्र में करीब चार और बीएचईएल क्षेत्र में भगत सिंह चौक से आग दो तालाब पूर्व में ही बने हैं। बीएचईएल की देखरेख के अभाव में यह तालाब पूरी तरह सूख गए और इसमें सिल्ट जमा है। जिलाधिकारी ने तालाब को खोदने के लिए नगर निगम को जिम्मेदारी सौंपी है। नगर निगम तालाब की खोदाई से पहले इसकी पूरी कार्ययोजना तैयार करेगा। इसके अनुमानित लागत आदि के आधार पर धन का आवंटन किया जाएगा। इस बार शहर को मानसून सीजन के दौरान जलभराव से पूरी तरह बचाया जाएगा। सभी विभागों को समन्वय स्थापित करते हुए अपने-अपने क्षेत्र में कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। शिवालिक की पहाड़ी से पानी सीधा शहर में न पहुंचे इसके लिए चार तालाब तैयार किए जा रहे हैं। इनमें 35 मिलियन लीटर वर्षा जल संरक्षण की क्षमता होगी। इससे जल संरक्षण तो होगा ही साथ ही पानी का वेग सीधे शहर में नहीं होगा। – धीराज सिंह गर्ब्याल, जिलाधिकारी, हरिद्वार