तीन दशकों के अथक प्रयासों के बाद भी 33 फरार आरोपी ढूंढे नहीं मिले। अब इनके मिलने की संभावना खत्म हो गई। लिहाजा, इन आरोपियों के नाम मफरूर (फरार) रजिस्टर से काट दिए गए हैं। समय-समय पर पुलिस इस कार्रवाई को अमल में लाती है। इस बार इसमें 33 नामों को खारिज किया गया है। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि किसी भी अपराध में पकड़े न जाने के बाद न्यायालय से आरोपियों को फरार घोषित किया जाता है। पुलिस भी इनका एक रजिस्टर बनाकर समय-समय पर इनकी धरपकड़ के लिए अभियान चलाती है।
बड़े अपराधों में शामिल आरोपियों को तलाशने के लिए लगातार विशेष टीमें और एसटीएफ कोशिश करती रहती है। मगर, छोटे अपराधों में शामिल अपराधी जब नहीं मिलते तो उनका नियमानुसार 30 साल के बाद रजिस्टर से नाम काटने की व्यवस्था है।जिनके नाम काटे गए हैं, इन सभी आरोपियों की लगातार तलाश की जा रही थी, लेकिन इनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। इनके नाम-पता की तस्दीक ही नहीं हो पाई। ऐसे में पुलिस रेगुलेशन में निहित प्रावधानों के तहत जिले के पुलिस कप्तान को अधिकार है कि वह ऐसे फरार आरोपियों के नाम रजिस्टर से काट सकते हैं।एसएसपी ने बताया कि इन्हीं के आधार पर ये नाम काटे गए हैं। इनमें सिर्फ छोटे अपराधों में शामिल आरोपियों के नाम हैं। इनमें किसी का पता नहीं मिला तो किसी का नाम गलत था। किसी की मृत्यु हो चुकी थी, तो किसी के बारे में कोई जानकारी ही नहीं मिली।