विनसर पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित जिस महादेव मंदिर में लोग सुख-समृद्धि की कामना करते थे उसी पहाड़ी से मिट्टी और मलबे का ऐसा सैलाब फूटा कि देखते ही देखते हंसते-खेलते गांव मलबे के ढेर में तब्दील हो गए।नंदानगर के आठ किलोमीटर के दायरे में कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया है कि हर कदम पर तबाही के निशान नजर आ रहे हैं। अपने उजड़े घर, खेत-खलिहान देखकर आपदा प्रभावितों की आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं। अब इन ग्रामीणों के सामने अपने उजड़े घरों को फिर से बसाने की सबसे बड़ी चुनौती है। दिन में वे अपने टूटे घरों को देखने आते हैं और रात को राहत शिविरों में शरण लेते हैं। रिश्तेदारों और शुभचिंतकों का आना-जाना लगा हुआ है जो उन्हें ढाढ़स बंधा रहे हैं। पूरे क्षेत्र में सड़कें, पेयजल लाइनें और बिजली की व्यवस्था पूरी तरह तहस-नहस हो चुकी है।
सेरा गांव : जहां थे मकान, वहां बह रहा मोक्ष गदेरा
सेरा गांव मोक्ष गदेरे के किनारे बसा हुआ था जहां लगभग 30 परिवार रहते थे। इस आपदा में 8 मकान गदेरे में बह गए हैं जबकि कुछ घरों के आंगन से होकर अब मोक्ष गदेरा बह रहा है। गांव की महिलाएं देवेंद्र सिंह के घर पर इकट्ठा होकर एक-दूसरे का दुख बांट रही हैं। ग्राम प्रधान रेखा देवी ने बताया कि जैसे ही मोक्ष गदेरा उफान पर आया लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर बदहवास होकर सड़क की ओर भागे। मलबे और पानी से घरों का सारा सामान नष्ट हो गया है। बच्चों के स्कूल के प्रमाणपत्र, बैंक पासबुक, पैसे और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मलबे में दब गए हैं। उन्होंने कहा, अब आगे क्या होगा, कैसे दिनचर्या चलेगी, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। शुक्रवार को आपदा के नोडल अधिकारी और मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी और उरेड़ा के परियोजना अधिकारी गांव में हुए नुकसान का आकलन करने पहुंचे। उन्होंने प्रभावित परिवारों की सूची बनाई और उनके रहने और खाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने में जुटे रहे।
कुंतरी लगा फाली : कुंवर सिंह के पत्नी और बेटों के शव मिले
विनसर पहाड़ी की तलहटी में बसा कुंतरी लगा फाली भी इस आपदा का शिकार हुआ है। यहां करीब 35 परिवार रहते थे जिनमें से 15 मकान मलबे में दब गए हैं। गांव के पास बहने वाले एक छोटे नाले के शीर्ष भाग में बादल फटने से गांव में भयानक तबाही मची। कुंतरी गांव एक टीले पर बसा होने के बावजूद मलबे का सैलाब इसे बहा ले गया। कई मकानों के लिंटर टूटकर एक-दूसरे के ऊपर पड़े हैं। इस गांव में आपदा प्रभावित कुंवर सिंह को बृहस्पतिवार को मलबे से जिंदा निकाला गया था लेकिन उनकी पत्नी और दो बेटे मलबे में दब गए थे। शुक्रवार को एनडीआरएफ की टीम दिन भर लिंटर तोड़ती रही जिसके बाद कुंवर सिंह की पत्नी और दोनों बेटों के शवों को बाहर निकाला जा सका। गांव के कई घरों में अभी भी मलबा भरा हुआ है।
राम-लखन की थी जोड़ी
कुंवर सिंह की पत्नी और दो जुड़वा बेटे विकास और विशाल भी मलबे में दब गए। शुक्रवार को जब रेस्क्यू टीमों ने एक-एक करके मां और दोनों बेटों के शव निकालने शुरू किए तो उस दिल दहलाने वाले मंजर ने हर किसी की आंखों में आंसू ला दिए। महिलाएं फूट-फूटकर रोने लगी। महिलाएं कह रही थी कि दोनों की राम-लखन की जोड़ी थी। इन मासूमों ने विधाता का क्या बिगाड़ा था। कुंवर सिंह के बड़े भाई हरेंद्र सिंह भी घर पहुंच गए हैं।
संगीता देवी पर टूटा दुखों का पहाड़
कुंतरी लगा फाली गांव की संगीता देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। तीन साल पहले पति की मौत के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर आ गई थी। पति मेहनत-मजदूरी करते थे इसलिए संगीता के पास कमाई का कोई साधन नहीं था। उन्होंने दूध बेचकर घर बनाया और इसी से अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही थीं। इस आपदा में उनका सब कुछ छीन गया है। उनकी एक भैंस, गाय और बछिया गौशाला सहित मलबे में दब गई हैं। उनका घर भी पूरी तरह नष्ट हो चुका है। अपनी बेटी और बेटे के साथ संगीता का रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार अपनी किस्मत को कोस रही हैं। संगीता ने बताया भगवान ने मेरा सब कुछ छीन लिया है। मेरे बच्चे दर-दर भटक रहे हैं। मेरा सहारा वह भैंस और गाय थीं वे भी नहीं रहीं। उन्होंने दर्द भरी आवाज में कहा, पीठ पर सीमेंट के कट्टे ढोकर, पत्थर तोड़कर यह मकान खड़ा किया था। किस्मत ने हमसे यह भी छीन लिया है।
नंदानगर बाजार से हुई आपदा की शुरुआत
नंदानगर क्षेत्र में आपदा की शुरुआत मुख्य बाजार के ऊपर भूस्खलन से हुई जहां छह मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए और कई अन्य खतरे की जद में आ गए। बृहस्पतिवार की रात करीब 2 बजे विनसर की पहाड़ियों पर बादल फटने से कुंतरी लगा फाली, सैंती लगा कुंतरी, धुर्मा और सेरा गांव बुरी तरह प्रभावित हुए। धुर्मा गांव को जोड़ने वाली सड़क भी मलबे से बंद हो गई है जिससे राहत और बचाव कार्य में कठिनाइयां आ रही हैं। प्रशासन की ओर से हेलिकॉप्टर के जरिए प्रभावितों को खाद्यान्न किट वितरित की गई हैं।