जिला प्रशासन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कालसी के जगतग्राम बाड़वाला स्थित अश्वमेध यज्ञस्थल को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करना चाहता है, लेकिन यह स्थान जुड्डो मोटर मार्ग से तीन किलोमीटर की दूरी पर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सालों से चली आ रही सड़क की मांग को पूरा करने जा रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कालसी के जगतग्राम बाड़वाला में अश्वमेध यज्ञ की गरुड़नुमा यज्ञशाला पर्यटकों को नजदीक से दिखाएगा। साथ ही यज्ञस्थल तक एप्रोच रोड बनाई जाएगी, ताकि पर्यटकों को पैदल नहीं चलना पड़े।
अभी यज्ञस्थल तक पहुंचने के लिए लोगों को करीब एक किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। एएसआई इस स्थान पर एप्रोच रोड बनाने जा रहा है, ताकि पर्यटक नजदीक पहुंचकर यज्ञशालाओं को देख सकें।वर्मन वंश के शासक शील वर्मन ने यहां चार अश्वमेध यज्ञ किए थे। सन 1952-53 में यहां अश्वमेध यज्ञ स्थल होने के सबूत मिले। पुरातत्व विभाग के सर्वे के अनुसार यहां तीसरी शताब्दी में अश्वमेध यज्ञ किया गया। इस स्थान को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा मिला हुआ है। बाग के बीच में होने के कारण यज्ञशाला तक पर्यटक आसानी से नहीं पहुंच पाते हैं।
चौथी यज्ञ वेदिका की चल रही तलाश
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् मनोज सक्सेना ने बताया कि यह यज्ञस्थल गरुड़ के आकार का है। उत्खनन में यहां पर तीन यज्ञ वेदिकाएं निकलीं। जबकि, अश्वमेध यज्ञ के लिए चार यज्ञ वेदिकाएं बनाई जाती हैं। अभी चौथी यज्ञ वेदिका की तलाश चल रही है। ये यज्ञ वेदिकाएं पक्की ईटों से गरुड़ के आकार में बनी हैं।
पर्यटन के मानचित्र पर लाने की कवायद
अश्वमेघ यज्ञ स्थल पर उत्खनन के दौरान 1700 साल पुरानी ईंट भी मिली थी। इस ईंट में ब्राह्मी लिपि में संदेश लिखा था। ईंट को संरक्षित कर लिया गया है। एएसआई इस क्षेत्र को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए यहां संग्रहालय बनाने का प्रयास कर रहा है। अश्वमेध यज्ञ स्थल को विकसित किया जाएगा। सड़क निर्माण का कार्य जल्द शुरू होने जा रहा है। सड़क बनने से जगतग्राम बाड़वाला में पर्यटन गतिविधियां बढेंगी। – मनोज सक्सेना अधीक्षण पुरातत्वविद् पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग
अश्वमेध यज्ञ की गरुड़नुमा यज्ञशाला पर्यटक नजदीक से देख सकेंगे
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